शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

अफीम की खेती पर संकट

शिरीष खरे 

मध्य प्रदेश के मंदसौर एवं नीमच जिले में अफीम की खेती करने वाले किसान इन दिनों अपनी पारंपरिक खेती के भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैंवजह यह है कि तुर्की से पोस्ता दाने का आयात करने के भारत सरकार के एक निर्णय ने यहां अफीम उत्पादकों को आर्थिक संकट में डाल दिया हैलेकिन देश में पोस्ता दाना की मांग को पूरा करने के लिए सरकार इस आयात को जरूरी मानरही है. भारत सरकार के इस निर्णय के खिलाफ यहां के अफीम उत्पादक किसान अब आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं.


जैसा कि जगजाहिर है कि मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र के नीमच और मंदसौर जिले में आजादी के पहले से ही काले सोनेयानी अफीम की खेती  होती हैयहां से उत्पादित अफीम को पश्चिमी देशों के दवा कंपनियों को बेचा जाता हैअफीम के पौधे से उसके बीज को निकालकर पोस्ता दाना बनाया जाता हैजैसा कि नीमच के कनावती गांव के अफीम उत्पादक किसान राजेश पाटीदार बताते हैं कि दिनोंदिन अफीम की खेती की लागत बढ़ रही है. मजदूरों को ज्यादा मजदूरी देनी पड़ रही हैअफीम की सरकारी खरीद और डोडा चूरा सरकार द्वारा तय ठेकेदारों को बेचने के बाद किसानों के पास सिर्फ पोस्ता दाना ही बचता हैइसे अफीम उत्पादक खुले बाजार में बेचकर खासा मुनाफा कमाते रहे हैं. लेकिन तुर्की से पोस्ता दाना आयात होने के सरकारी निर्णय के बाद यह खुले बाजार में भारी मात्रा में उपलब्ध हैलिहाजा इसका बाजार मूल्य भी कम हो गया है.

इस बारे में भारतीय किसान संघ के नीमच जिला अध्यक्ष राधेश्याम दंगर कहते हैं, ‘सरकार का निर्णय देश के किसानों की हितों की अनदेखी करने वाला हैसरकार की गलत नीतियों के कारण अफीम बुआई का कुल रकबा पहले से कम होता जा रहा है. जाहिर है कि सरकार के इस निर्णय से अफीम उत्पादक किसान अफीम की बुआई को लेकर हतोत्साहिति होंगे और पोस्ता दाना का उत्पादन भी कम होगा.


दूसरी तरफकिसानों की इस चिंता एवं आयात की स्थिति पर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्सग्वालियर के आयुक्त विजय काल्सी कहते हैं, ‘भारत में 20 से 25 हजार मीट्रिक टन पोस्ता दाना की मांग हैजबकि पूरे देश भर के अफीम उत्पादको किसानों से कुल 4हजार मीट्रिक टन ही पोस्ता दाना उत्पादन हो पाता हैसीधी बात है कि यदि देश में पोस्ता दाने का उत्पादन बढ़ाना है तो अफीम की खेती का रकबा बढ़ाना होगालेकिन सरकार नहीं चाहती कि जरूरत और मांग से ज्यादा अफीम का उत्पादन होइसलिए भी सरकार ने तुर्की से पोस्ता दाने का आयात करना मुनासिब समझा है.’ उन्होंने बताया कि बिना अफीम के पोस्ता दाने का उत्पादन किए जाने के लिए शोध चल रहा हैउन्हें विश्वास है कि भविष्य में बिना अफीम वाले पोस्ता दाने की खेती का सपना साकार हो सकता हैपर कितना समय लगेगाइसे अभी कह पाना संभव नहीं है.

भारतीय किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर पोस्ता दाने के आयात में किसानों के हितों की अनदेखी की बात पर जोर देते हुए कहते हैं, ‘तुर्की में पोस्ता दाने का उतना उत्पादन नहीं होता जितना आयात करने लिए नारकोटिक्स विभाग में तुर्की से पंजीयन हुआ हैऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में गैरकानूनी तरीके से की जा रही अफीम की खेती से उपजे पोस्ता दाना को तस्कर तुर्की के रास्ते भारत को आयात कर रहे हैंआशंका यह है कि यह पैसा उन गुटों तक तो नहीं पहुंच रहा है जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैंइस बात को हम केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे और राज्य सरकार से भी हम कहने वाले हैं कि वह केंद्र से बात कर पोस्ता दाना के आयात पर रोक लगवाए.

गौर करें तो इलाहाबाद के आयुर्वेद सेवाश्रम कल्याण समिति ने बीते साल इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कोर्ट ने 29 नवंबर को दिए फैसले में कहा था कि कानूनी तरीके से उत्पादित पोस्ता दाना को ही आयात किया जा सकता हैइस फैसले के बाद जब कुछ अफीम उत्पादक किसानों ने तुर्की में उत्पादित पोस्ता दाने के संबंध में केंद्र सरकार से जानकारी मांगी तो तुर्की सरकार ने दिसंबर2013 को बताया कि सिर्फ हजार मीट्रिक टन पोस्ता दाना ही निर्यात के लिए उनके यहां उपलब्ध हैइलाहाबाद के वकील शिशिर प्रकाश ने इस संबंध में जो पत्र विभिन्न मंत्रालयों को लिखा है उसमें जिक्र किया है कि नारकोटिक्स विभाग में तुर्की से विभिन्न पंजीयन के तहत लगभग 70 हजार मीट्रिक टन आयात के लिए पंजीयन हुआ हैजाहिर है तुर्की सरकार ने पोस्ता दाना निर्यात की जो जानकारी दी है यह मात्रा उससे बीस गुना अधिक है. ऐसे में पोस्ता दाने की तस्करी की आशंका को और अधिक बल मिल रहा है. लेकिन मध्य प्रदेश के पश्चिमी अंचल के इन अफीम उत्पादक किसानों का संकट कहीं गंभीर है. आखिर सवाल उनकी जीविका के संकट का है

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